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News Highlights provides you with the best compilation of the Daily News Highlights taking place across the globe: National, International, Sports, Science and Technology, Banking, Economy, Agreement, Appointments, Ranks, and Report and General Studies

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DAINIK JAGRAN

1.

मानसून सत्र के पहले ही दिन उपराष्ट्रपति धनखड़ का इस्तीफा

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमबार शाम अचानक अपने पद से इस्तीफे की घोषणा कर दी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्म को भेजे गए पत्र में धनखड़ ने तत्काल प्रभाव से दिए इस्तीफे के लिए खराब स्वास्थ्य को कारण बताया है। बहरहाल राजनीतिक गलियारे में कयासों का बाजार गर्म हो गया है। संसद के मानसून सत्र के पहले दिन की कार्यवाही का सफलतापूर्वक संचालन के बाद अचानक उनके इस्तीफे की घोषणा ने सबको चौंका दिया है। धनखड़ 2022 में उपराष्ट्रपति के पद के लिए निर्वाचित हुए थे और उनका कार्यकाल अगस्त, 2027 तक था। 


2.

टीडीएस रिफंड के लिए समय पर रिटर्न भरने की अनिवार्यता हो खत्म

लोकसभा की प्रवर समिति के अध्यक्ष और भाजपा सदस्य बैजयंत पांडा ने सोमवार को लोकसभा में इनकम टैक्स बिल 2025 पेश किया। समिति ने बिल को और अधिक पारदर्शी, स्पष्ट और करदाता के लिए आसान बनाने की सिफारिश की है और इस दिशा में कई महत्वपूर्ण बदलाव का सुझाव दिया है। बिल में टीडीएस रिफंड पाने के लिए तय समय में इनकम टैक्स रिटर्न (आइटीआर) भरने की अनिवार्यता पर समिति ने कहा है कि जिन लोगों की आय कर के दायरे में नहीं आती है, उन्हें टीडीएस रिफंड पाने के लिए तय समयसीमा में रिटर्न भरने की अनिवार्यता से छूट दी जानी चाहिए। इतना ही नहीं उनसे जुर्माना वसूलने का भी कोई मतलब नहीं है। 


3.

समृद्ध लोकतंत्र निरंतर कटुता को बर्दाश्त नहीं कर सकता : धनखड

मानसून सत्र के पहले दिन सभापति जगदीप धनखड़ की सियासी दलों से कटुता और खींचतान को भूलकर समान लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए राष्ट्रहित में काम करने की सलाह बेअसर रही। राज्यसभा में उनकी इस सलाह के कुछ ही देर बाद विपक्ष ने नारेबाजी और हंगामा शुरू कर दिया है। दरअसल हुआ यह था कि सभापति धनखड़ ने सत्र के शुरू से होने पहले सदन को संबोधित करते हुए कहा था कि एक समृद्ध लोकतंत्र निरंतर कटुता को बर्दाश्त नहीं कर सकता। सियासी तनाव कम होना चाहिए क्योंकि टकराव राजनीति का सार नहीं है। 


4.

एएआइबी पूरी तरह निष्पक्ष, प्रोटोकाल के तहत चल रही जांच

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के, राममोहन नायडू को संसद के मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को राज्यसभा में अहमदाबाद में हुए एअर इंडिया विमान हादसे को लेकर सवालों की बौछार का सामना करना पड़ा। जवाब में उन्होंने कहा कि हादसे से जुड़ी अंतिम जांच रिपोर्ट आने तक किसी निष्कर्ष पर पहुंचना ठीक नहीं है। सभी को धैर्य के साथ अंतिम रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए। हादसे की जांच कर रही विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआइबी) एक निष्पक्ष एजेंसी है, जो निर्धारित अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकाल के अनुसार, अपना काम कर रही है। 


5.

सीबीएसई स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लगाना हुआ अनिवार्य

सीबीएसई ने विद्यार्थियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी संबद्ध स्कूलों में हाई रेजोल्यूशन सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया है। वर्तमान में देशभर में सीबीएसई से संबंधित 28,960 स्कूल हैं। सीबीएसई के सचिव हिमांशु गुप्ता ने सभी स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे विद्यार्थियों की सुरक्षा सुरक्षा सुनिश्चित करें। इसके तहत सभी स्कूलों को अपने प्रवेश और निकास द्वार, गलियारों, सीढ़ियों, कक्षाओं, प्रयोगशालाओं, पुस्तकालय, कैंटीन, स्टोर रूम, खेल मैदान और अन्य साझा क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे स्थापित करने होंगे। हालांकि, शौचालय को इससे बाहर रखा गया है। सीबीएसई ने स्पष्ट किया है कि इन सीसीटीवी कैमरों में रियल टाइम आडियो-विजुअल रिकार्डिंग की सुविधा होनी चाहिए। कम से कम 15 दिन की रिकार्डिंग का बैकअप रखना अनिवार्य होगा, जिसे जरूरत पड़ने पर जांच एजेंसियां या बोर्ड अधिकारी उपयोग कर सकें।


6.

वकील व मुवक्किल का संवाद विशेषाधिकार प्राप्त है, उस पर नोटिस कैसे हो सकता है

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पुलिस और जांच एजेंसियों के मुवक्किलों को सलाह देने वाले वकीलों को नोटिस और समन करने पर चिंता जताते हुए कहा, वकील-मुवक्किल के बीच संवाद विशेषाधिकार प्राप्त होता है। उसे प्रकट करने से छूट होती है। उस पर नोटिस कैसे दिया जा सकता सकता है... ईडी सारी हदें पार कर रही है। कोर्ट ने जांच एजेंसियों के रवैये पर नाराजगी जताते हुए दिशा-निर्देश तय करने की बात कही। ज्ञात हो, सुप्रीम कोर्ट वकीलों को नोटिस-समन भेजे जाने के मामलों पर स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है। 


7.

'यू-शेप' क्लास में हर छात्र पर समान ध्यान, खत्म हुआ बैकबेंचर का भेद

कक्षा में पोछे बैठने वाले विद्यार्थियों के लिए प्रचलित शब्द बैकबेंचर को उनके पढ़ाई में कमजोर होने या कई बार उनके आत्मविश्वास की कमी से भी जोड़ा जाता है. लेकिन स्कूलों में यह व्यवस्था सतत चलती आ रही है. अब छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में पिपरिया स्थित प्राथमिक शाला ने इस व्यवस्था में बदलाव किया है। यहां कक्षा में अब कोई भी विद्यार्थी पीछे नहीं बैठता। उन्हें 'यू' आकार में बैठाया जाता है। इस बदलाव से सुनिश्चित किया गया है कि हर विद्यार्थी पहली कतार में रहे और शिक्षक को स्पष्ट देख सके। इससे बच्चों में आत्मविश्वास और सक्रियता बढ़ी है। 


8.

सांसद अपनी भी समीक्षा करें

संविधान, लोकतंत्र तो कुछ अरसे से राजनीति में चर्चा के केंद्र में हैं ही, लेकिन वक्त आ गया है कि अब विधायिका पर भी चर्चा हो और इसका ठोस आकलन हो कि संसद जन आकांक्षाओं को पूरा कर पा रही है या नहीं? यदि नहीं तो इसके लिए उत्तरदायी कौन हैं, कितना हैं और क्यों हैं? संसद सही तरह से तब काम करेगी, जब पक्ष-विपक्षी के दल यानी सांसद अपना काम ठीक से करेंगे। संसद के सदस्यों को कैसे जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए, एक स्वतंत्र एजेंसी इसका पूरा अध्ययन कर जनता के सामने रख दे कि किसे जिम्मेदार माना जाए? संसदीय परंपरा, नियम-कानून की कसौटी पर यह अध्ययन हो और उसे सार्वजनिक किया जाए। यह इसलिए जरूरी हो गया है, क्योंकि साल दर साल संसद की कार्यवाही चलाने के बजाय रोकने की कवायद तेज होने लगी है। बहस की गुणवत्ता के बजाय शोर के

जौर से सफलता आंकी जाने लगी है। जनता के असल मुद्दों के बजाय आमतौर पर सतही राजनीतिक और चुनावी मुद्दे हावी होने लगे हैं। याद कीजिए कि किसी संसदीय सत्र से पहले ऐसी खबर पढ़ी क्या कि सत्र बहुत फलदायक होने वाला है...। यह खबर हर बार पढ़ी होगी कि हंगामेदार रहेगी। आरोप-प्रत्यारोप इस पर चलता है कि संसद चलाने की जिम्मेदारी किसकी है? सरकार विधेयक लाती है। विपक्ष के पास पूरा अधिकार होता है कि उन पर अपने विचार रखे, लेकिन विपक्ष का एजेंडा तय करता है कि सदन की कार्यवाही चल पाएगी या नहीं? 


9.

सामने आते अतीत के अनछुए पहलू

पिछले कुछ महीनों से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तिलवाड़ा साकिन, हरियाणा के टोपरा कलां और राजस्थान के बहज नामक पुरातत्व स्थलों से ताम्रयुगीन, महाभारतकालीन, मौर्यकाल, शुंग काल और कुषाण काल के अनेक महत्वपूर्ण पुरावशेष मिले हैं। तिलवाड़ा साकिन गांव में हुए उत्खनन से 4,000 साल पुराने रथ का पहिया मिला है, जो तांबे की परत से ढका हुआ है। 1900 से 1500 ईसा पूर्व के तांबे की कटारें, तलवारें, औजार मिले हैं। तिलवाड़ा साकिन से केवल 10 किमी दूर सिनौली गांव से भी तांबे की परत चढ़े तीन युद्ध रथ और अति दुर्लभलकड़ी के ताबूत में संरक्षित किए गए आठ मानव कंकाल, युद्ध में इस्तेमाल किए जाने वाले कवच, हेलमेट, तांबे की तलवारें, खंजर, स्वर्ण आभूषण प्राप्त हुए हैं। सिनौली में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने सर्वप्रथम 2005 में उत्खनन कार्य कराया था। तब पुरातत्वविदों को यहां से करीब 116 मानव कंकाल, स्वर्णनिधि (बड़ी संख्या में सोने के कंगन, सोने के मनके और सोने की मानवाकृति) प्राप्त हुई थी। 


10.

छोटे शहरों में बढ़ते अवसर

पेशेवर नेटवर्क प्लेटफार्म लिंक्डइन की 'सिटीज आन द राइज' रिपोर्ट में विशाखापत्तनम, रांची, विजयवाड़ा, नासिक और रायपुर जैसे शहरों को सबसे तेजी से बढ़ते गैर मेट्रो केंद्रों के रूप में चिह्नित किया गया है। टियर-2 और टियर-3 शहरों को उन पेशेवरों के लिए उपयुक्त बताया गया है, जो स्थानांतरित होना चाहते हैं, नए उद्योगों में प्रवेश करना चाहते हैं या स्थानीय स्तर पर अपना करियर बनाना चाहते हैं। उल्लेखनीय है कि छोटे शहरों और गांवों में रोजगार के सीमित अवसरों के कारण उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले लोगों को महानगरों या फिर दूसरे देशों में जाकर काम करने के लिए विवश होना पड़ता है। घर और परिवार से दूर रहने के कारण ऐसे लोगों को अक्सर सामाजिक और आर्थिक रूप से कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। महानगरों में काम करने वाले लोग अपने परिवार, रिश्तेदार और सामाजिक नेटवर्क से दूर हो जाते हैं। इसके अलावा माता-पिता के घर से दूर रहने पर बच्चों के भावनात्मक और सामाजिक विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। समाज में एकल परिवार बढ़ने लगते हैं।


11.

उपभोक्तावाद को बढ़ावा देता ऋण

हमारे मारे देश में एक पुरानी कहावत है 'जितनी लंबी चादर हो पैर उतने ही पसारने चाहिए' किंतु आज के संदर्भमें इसकी मान्यता कम होती जा रही है। इसकी जगह चार्वाक का सिद्धांत 'ऋणं कृत्वा घृतम् पिवेत भस्मी भूतस्य देहस्य पुनर्जन्म किमपि' लोकप्रिय होता जा रहा है। आमदनी में वृद्धि, विलासिता के साधनों का बड़े पैमाने पर उत्पादन और जीवन शैली में बदलाव इसके मुख्य कारण हैं। यह स्थिति विश्वव्यापी है, भारत इसका कोई अपवाद नहीं है, यद्यपि उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत में अभी भी यह कम है और नियंत्रण में है। खाने-पीने और आवश्यक वस्तुओं पर होने वाले खर्च का प्रतिशत आवास, मोटर वाहनों, एसी, रेफ्रिजरेटर, इलेक्ट्रानिक सामान, पर्यटन, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं आदि पर खर्च की अपेक्षा कम होता जा रहा है। 


12.

शिवाजी की स्मृतियों का संरक्षण

वह है, छत्रपति शिवाजी महाराज की स्मृतियों से जुड़े 12 किलों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया जाना। इनमें से 11 किले महाराष्ट्र में हैं, और एक किला तमिलनाडु में है। छत्रपति शिवाजी महाराज की स्मृतियों एवं उनके शौर्य के प्रतीक इन 12 किलों का एक साथ यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में स्थान बना बना पाना आसान लक्ष्य नहीं था। निश्चित रूप से सभी शिवप्रेमियों के लिए यह गर्व का क्षण है। चाहे वे महाराष्ट्र के हों या महाराष्ट्र के बाहर के, क्योंकि छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्य से पूरे भारत की नई पीढ़ियां सबक लेती रही हैं, और लेती रहेंगी।  


13.

6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी भारत की जीडीपी

घरेलू खपत में सुधार और अन्य सेक्टरों में सकारात्मक संकेतों के चलते चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 26) में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। क्रिसिल इंटेलिजेंस की रिपोर्ट में अमेरिकी टैरिफ संबंधी वैश्विक अनिश्चितता को भारत के विकास के लिए सबसे बड़ा जोखिम बताया गया है। पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत से बढ़कर 7.4 प्रतिशत हो गई। पूरे वित्त वर्ष 2024-25 में जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत सही थी। खाद्य मुद्रास्फीति के नकारात्मक होने से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआइ) आधारित महंगाई दर जून में घटकर 2.1 प्रतिशत रह गई। यह 77 महीनों में सबसे कम थी। 


14.

निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 28 राज्यों ने बनाई रणनीति

निर्यात बढ़ाने के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने भी प्रयास तेज कर दिए हैं। सभी 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने न केवल निर्यात रणनीति तैयार की है बल्कि राज्य निर्यात संवर्धन समिति (एसईपीसी) और जिला निर्यात संवर्धन समिति (डीईपीसी) का भी गठन किया है। इसके अलावा, विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा 590 जिलों के लिए एक मसौदा जिला कार्य योजना तैयार की गई है। इनमें से 249 जिलों को डीईपीसी द्वारा औपचारिक रूप से अधिसूचित किया गया है। 


15.

रेपो रेट में कटौती कोई जादुई गोली नहीं जिससे निवेश बढ़े

आरबीआइ के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि केंद्रीय बैंक द्वारा रेपो रेट में की गई कटौती कोई 'जादुई गोली' नहीं है, जिससे निवेश बढ़ जाएगा। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में कई अन्य कारक भी भूमिका निभाते हैं। राजन ने आगे कहा कि इस समय ब्याज दरें बहुत ज्यादा नहीं हैं और आरबीआइ द्वारा घोषित दरों में कटौती का असर दिखने में समय लगेगा। उन्होंने यह बात तब कही जब उनसे एक साक्षात्कार के दौरान पूछा गया कि क्या हाल के दिनों में आरबीआइ द्वारा घोषित रेपो रेट में कटौती से कारपोरेट अपनी निवेश योजनाओं को बढ़ाने के लिए प्रेरित होंगे। 


16.

जलवायु परिवर्तन के रहस्य सुलझाएगी 15 लाख वर्ष पुरानी बर्फ

जलवायु परिवर्तन के अध्ययन के लिए ब्रिटेन में पृथ्वी पर ज्ञात सवसे पुरानी वर्फ की जांच की जा रही है, जो 15 लाख वर्ष से भी अधिक पुराना मानी जा रही है। विज्ञानियों का मानना है कि इस वर्फ के पिघलने से जलवायु परिवर्तन के वारे में हमारी समझ में क्रांतिकारी वदलाव आ सकता है। 


17.

कैंसर से ठीक होने के बाद कमजोर हो रहीं रोगियों की मांसपेशियां

कैंसर से बचे ज्यादातर लोग मांसपेशियों की कमजोरी से जूझते हैं जो इतनी गंभीर हो सकती है कि उन्हें कुछ मंजिल की सीढ़ियां चढ़ने तक में कठिनाई हो सकती है। कैंसर के दौरान मांसपेशियों की गंभीर कमजोरी को कैशेक्सिया कहा जाता है। शिकागो की यूनिवर्सिटी आफ इलिनायस द्वारा किए गए शोध में सामने आया है कि कैशेक्सिया कैंसर रोगियों में पहले से अधिक सामान्य है जिससे आम तौर पर 80 प्रतिशत लोग प्रभावित होते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि कैंसर ठीक होने के बाद भी यह बनी रह सकती है। मुख्य शोधकर्ता जलीस रहमान के मुताबिक, कैंसर में मांसपेशियों के नुकसान के कारणों में भूख की कमी और सूजन के कारण खराब पोषण मुख्य रूप से शामिल हैं।


18.

एंटीबायोटिक प्रतिरोध के कारण जा सकती हैं 3.85 करोड़ लोगों की जान

एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग और अति प्रयोग के कारण उत्पन्न एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया, जिन्हें सुपरबग कहा जाता है, वैश्विक स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिरता के लिए एक गंभीर चुनौती बनते जा रहे हैं। थिंक टैंक सेंटर फार ग्लोबल डेवलपमेंट द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति बढ़ते प्रतिरोध के कारण 2050 तक तीन करोड़ से अधिक लोगों की मृत्यु हो सकती है। एंटीबायोटिक प्रतिरोध तब होता है जब बैक्टीरिया उन एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो जाते हैं जिनका इस्तेमाल उनके इलाज के लिए किया जाता था। इससे कुछ जीवाणु संक्रमणों का इलाज मुश्किल हो जाता है।


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DAINIK JAGRAN (22 Jul 2025) | Daily News Highlights