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News Highlights provides you with the best compilation of the Daily News Highlights taking place across the globe: National, International, Sports, Science and Technology, Banking, Economy, Agreement, Appointments, Ranks, and Report and General Studies
1.
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की ओर से भेजे गए संदर्भपत्र (प्रेसीडेंशियल रेफरेंस) पर केंद्र सरकार व सभी राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने केंद्र और राज्यों से एक सप्ताह में जवाब मांगते हुए कहा कि संदर्भ पत्र में उठाए गए संवैधानिक प्रश्नों का पूरे देश पर प्रभाव होगा। कोर्ट ने मामले को 29 जुलाई को फिर सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया।
2.
चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूची के चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर 'सर') को उचित ठहराते हुए कहा है है कि यह मतदाता सूची से 'अयोग्य व्यक्तियों' को हटाकर चुनाव की शुद्धता को बढ़ाता है। बिहार से शुरू करके पूरे भारत में मतदाता सूची की एसआइआर करने के निर्देश देने वाले 24 जून के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका के मद्देनजर चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। इसमें कहा गया है कि कानूनी चिंताओं के बावजूद आयोग एसआइआर-2025 प्रक्रिया के दौरान पहचान के सीमित उद्देश्य के लिए आधार, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड पर पहले से ही विचार कर रहा है।
3.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ब्रिटेन के पीएम किएर स्टार्मर के बीच गुरुवार को होने वाली बैठक से पहले भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को अंतिम रूप देने के लिए दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों की टीम जुटी हुई है। प्रयास किया जा रहा है कि बुधवार तक शुल्क से जुड़े मुद्दों पर अंतिम सहमति बन जाए ताकि दोनों प्रधानमंत्री जब लंदन में द्विपक्षीय बैठक के लिए मिलें तो एफटीए के दस्तावेज पर हस्ताक्षर हो सकें। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने छह मई, 2025 को इस बात की घोषणा की थी कि भारत और ब्रिटेन जल्द ही एफटीए पर हस्ताक्षर करेंगे। हालांकि कारोबारी मुद्दों पर सहमति के बावजूद, भारतीय प्रधानमंत्री ब्रिटिश नेताओं के समक्ष स्पष्ट करेंगे कि रूस से तेल खरीद के संबंध में ब्रिटेन द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को भारत स्वीकार नहीं करेगा।
4.
भारत के सहकारी आंदोलन को अगले दो दशकों के लिए नई दिशा देने वाली राष्ट्रीय सहकारिता नीति-2025 का अनावरण केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह गुरुवार को करेंगे। इसे नए युग के सहकारी सौच के अनुरूप बनाया गया है, जो सहकारिता क्षेत्र को न सिर्फ पुनर्जीवित करेगी, बल्कि पहले से अधिक तकनीक-संगत, पारदर्शी एवं समावेशी बनाकर विकसित भारत की अवधारणा को भी सशक्त करेगी।
5.
हर क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआइ) के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए केंद्र सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है। स्कूल स्तर से एआइ की शिक्षा दिए जाने के प्रयासों के बीच कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय ने स्कूली छात्रों और शिक्षकों के लिए स्किलिंग फार एआइ रेडीनेस (एसओएआर) कार्यक्रम बनाया है। इन डिजिटल ट्रेनिंग माड्यूल का शुभारंभ मंगलवार को कौशल विकास एवं उद्यमशीलता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जयंत चौधरी ने किया और कहा कि छात्र कौशल को विकल्प नहीं, प्राथमिकता के रूप में लें।
6.
मुंबई की लोकल ट्रेनों को इस महानगर की जीवनरेखा कहा जाता है। 19 साल पहले 11 जुलाई, 2006 को इसी जीवनरेखा में सैकड़ों लोगों की जीवनलीला समाप्त हो गई थी। उस दिन सात लोकल ट्रेनों में छह मिनट के भीतर श्रृंखलाबद्ध बम धमाकों में 187 लोग मारे गए और 800 से अधिक घायल हुए थे। इन धमाकों को भारतीय इतिहास के सबसे भीषण आतंकी हमलों में से एक माना गया। 7/11 धमाकों की भयावहता ऐसी थी कि कई घायल अपनी चोट से उबर नहीं पाए और बाद में उनकी मृत्यु हो गई। उन वीभत्स दृश्यों के साक्षी बने तमाम लोग मानसिक रूप से बीमार हो गए। हमलों की जांच महाराष्ट्र एटीएस को सौंपी गई। एटीएस की जांच में सामने आया कि धमाकों के पीछे पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आइएसआइ थी, जिसने स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया यानी सिमी के स्थानीय जिहादियों का इस्तेमाल किया। इन धमाकों में पाकिस्तानी भी शामिल थे और उनमें से एक धमाकों में मारा भी गया था। मामले से जुड़े आरोपपत्र में एटीएस ने 28 लोगों को आरोपित बनाया, जिनमें से 13 पर ही केस चल सका। शेष 15 में पाकिस्तानी नागरिक भी शामिल हैं, जो आज तक जांच एजेंसियों की पकड़ से बाहर हैं। विशेष मकोका न्यायालय ने 2015 में आरोपितों में से पांच को मृत्युदंड और सात को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अब 2025 में बांबे हाई कोर्ट ने सभी सजायाफ्ता 12 लोगों को यह कहते हुए दोषमुक्त कर दिया कि अभियोजन पक्ष अपने आरोप सिद्ध करने में पूरी तरह विफल रहा।
7.
बिहार की मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) अभियान पर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। विपक्षी दल इसके लिए चुनाव आयोग की मंशा और निष्पक्षता पर सवाल उठा रहे हैं। वे यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि चुनाव आयोग सत्तापक्ष के हाथों में खेल रहा है और इस अभियान के बहाने उनके समर्थक वोटरों के नाम मतदाता सूची से काटने की जुगत लगा रहा है। राजद, कांग्रेस और तृणमूल जैसे दलों ने अभियान का विरोध करते हुए इसे नागरिकता सत्यापन से जोड़ दिया है। मोदी सरकार में शामिल टीडीपी ने भी मांग रखी है कि इस अभियान को लेकर यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि यह नागरिकता के सत्यापन का अभियान नहीं है। इस बीच 'डेमोग्राफिक रिकंस्ट्रक्शन एंड इलेक्टोरल रोल इन्फ्लेशनः एस्टीमेटिंग द लेजिटिमेट बोटर बेस इन बिहार, इंडिया 2025' शीर्षक से एक अध्ययन सामने आया है, जो बता रहा है कि बिहार की मतदाता सूची में करीब 77 लाख अवैध मतदाता हैं। अभी बिहार में 7.89 करोड़ मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज हैं। अध्ययन का निष्कर्ष है कि इनमें सिर्फ सात करोड़ 12 लाख मतदाताओं के नाम ही वैध हैं, जबकि बाकी 77 लाख मतदाता फर्जी हैं। बिहार में विधानसभा की 243 सीटें हैं। इस लिहाज से देखें तो करीब हर सीट पर लगभग तीस हजार अवैध मतदाता हैं। इस अध्ययन के अनुसार, बिहार के शहरी और ग्रामीण इलाकों की मतदाता सूची में दर्ज अवैध वोटरों की वजह अलग-अलग है। शहरी मतदाता सूची में फर्जी वोटरों के नाम प्रवासन की समस्या की वजह से हैं तो ग्रामीण इलाकों में इसकी वजह मृत्यु के आंकड़ों का रिकार्ड अपडेट न होना है। चुनाव आयोग की प्राथमिक रिपोर्ट भी इस अध्ययन के नतीजे को सही साबित करती है।
8.
इंग्लैंड 17वीं सदी में अपने देश में विलुप्त हो चुके यूरेशियन प्रजाति के बीवरों को पुनः बसाने की तैयारी में जुटा है। इंग्लैंड में एक समय बीवर बहुतायत में पाए जाते थे, लेकिन मांस, फर और सुगंधित तेल (कैस्टोरियम) के लिए किए गए अंधाधुंध शिकार ने इन्हें इतिहास का हिस्सा बना दिया। ऐसे में बीवरों को दोबारा बसाकर इंग्लैंड अपने पर्यावरणीय अपराध की भरपाई कर रहा है।
9.
मानव सभ्यता का इतिहास बताता है कि संचार और संवाद की आवश्यकता हरेक युग में रही है। मौखिक, सांकेतिक, लिखित संवाद के अलग तौर-तरीके तब भी प्रचलित थे, जब अखबार, रेडियो, टीवी या इंटरनेट मीडिया नहीं थे, लेकिन संवाद और संपर्क के इन तरीकों में तब क्रांति हुई, जब इंटरनेट मीडिया के रूप में एक ऐसा औजार आम लोगों तक को मिल गया, जिसके जरिये वे अपनी बात किसी भी मंच तक पहुंचा सकते हैं। फेसबुक, एक्स, वाट्सएप और इंस्टाग्राम आदि इंटरनेट मीडिया मंचों ने हर व्यक्ति को अपनी बात खुलकर कहने का अवसर दिया है। इस लिहाज से इंटरनेट मीडिया ने नागरिकों को एक व्यक्ति के तौर पर अधिक सशक्त बनाया है, लेकिन यह इसी रूप में सीमित रहता तो संकट न आता। समस्या तब शुरू हुई, जब सोशल मीडिया के जरिये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का बेजा फायदा उठाकर कुछ लोगों ने इन मंचों का इस्तेमाल दूसरों को आहत करने के लिए करना शुरू कर दिया। यह प्रवृत्ति एक सामाजिक व्याधि में बदलने लगी है। परपीड़ा का यह रोग बेलगाम बढ़ता ही जा रहा है, जो अंकुश की मांग करता है।
10.
भारत और ब्रिटेन के बीच इस सप्ताह मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर होने जा रहा है। इस एफटीए के बाद भारत से निर्यात होने वाली 99 प्रतिशत वस्तुओं पर ब्रिटेन के बाजार में शुल्क नहीं लगेगा। इसका नतीजा यह होगा कि ब्रिटेन के बाजार में भारतीय वस्तुएं चीन की वस्तुओं के मुकाबले सस्ती हो जाएंगी और भारतीय वस्तुओं को तरजीह मिलेगी। पिछले साल चीन और ब्रिटेन के बीच वस्तु और सेवा को मिलाकर 132 अरब डालर का व्यापार किया गया जबकि भारत और ब्रिटेन के बीच इस अवधि में 58 अरब डालर का व्यापार किया गया। चीन ब्रिटेन को वस्तु और सेवा को मिलाकर कुल 92 अरब डालर का निर्यात करता है जबकि वस्तु व सेवा को मिलाकर भारत का निर्यात ब्रिटेन में लगभग 35 अरब डालर का है।
11.
60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को प्रभावित करने वाले अल्जाइमर रोग को लेकर विश्व में अलग-अलग अध्ययन हो रहा है। एक अध्ययन में पाया गया कि दो कैंसर दवाओं का संयोजन चूहों में न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग को धीमा कर सकता है, जो मानवों में लक्षणों को उलटने की संभावना को दर्शाता है। इसमें अल्जाइमर रोग में जीन के व्यवहार की तुलना के लिए अमेरिका में उपयोग की जाने वाली 1,300 दवाएं पर अध्ययन किया गया। बता दें कि अल्जाइमर रोग बढ़ती उम्र से संबंधित विकार है, जिसमें संज्ञानात्मक कार्य धीरे-धीरे घटता जाता है, जो बोलने और स्मृति को प्रभावित करता है और अंततः दैनिक गतिविधियों में बाधा डालता है। अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय व ग्लैडस्टोन संस्थानों के विज्ञानियों ने पहले देखा कि अल्जाइमर रोग में जीन के व्यवहार पर कैसे प्रभाव पड़ता है, एक एकल मस्तिष्क कोशिका में।
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